हमारे दर्द की शायद नही बनी कोई दवा, ना मिलेगा कोई इलाज,
ना घबराईए, ऐसी बीमारी का नही है कोई बहुत बड़ा राज़,
बस ये समझ लीजिए, हमने जिसे दिया अपनी ज़िंदगी का तख्तो ताज़,
उसी को ना जाने कैंसे कर बैठे हम नाराज़|
अब तो जीवन मे ना रही कोई उम्मीद, ना है कोई अरमान,
ये दुनिया लगती है जैंसे, हम हो इसमे कोई बिन बुलाए मेहमान,
आज इस कदर पिला दे ऐ साकी.... के दुनिया मे या तो शराब ना रहे या हमारा कोई नामो-निशान,
बहुत हुए हम ये रोज़-रोज़ की मौत से परेशान|
आज इस कदर पिला दे साकी.... के कल की रहे ना कोई उम्मीद ना कोई अरमान,
बहुत हुए हम ये रोज़-रोज़ की मौत से परेशान|
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