Friday, November 12, 2010

ek naseehat!

बे-इंतेहाँ इंतज़ार इत्तफ़ाक़ नही होता......
ये इश्क की राह है मेरे दोस्त, इसमे मज़ाक नही होता|

खूब कर लो जान-पहचान या दोस्ती, गर ऐसे कभी प्यार नही होता,
इस राह मे दर्द ही दर्द है मेरे दोस्त करार नही होता|

बे-इंतेहाँ इंतज़ार इत्तफ़ाक़ नही होता......
ये इश्क की राह है, इसमे मज़ाक नही होता|

Buka

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